28 मार्च 2014

वो चंद घड़ियाँ ( Mixi Mishra )


वो चंद घड़ियाँ थीं,
जो सुइयों की चाल में,कैद हो जाया करती थीं,रिहा होते थे तो बस "हम-तुम" .....
वक़्त घूमता तो था गोल-गोल,
उस घड़ी में,
पर आगे को बढ़ जाता था !!
सुइयां तो आकर मिलती थीं,
एक-दुसरे से कई बार,
उस दौरान,
जब "हम-तुम" होते थे साथ,
पर उनका बार-बार,
कई बार,
मिलना ..... इशारा होता था ,
हमारे जुदा होने का !!

वो चंद घड़ियाँ थीं,
जो सुइयों की चाल में,
कैद हो जाया करती थीं,
रिहा होते थे तो बस "हम-तुम" .....

~ mixi

Mixi Mishra

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